प्रमात्मा का दास अमलन= यथार्थ में, सच में, सत्यता पूर्वक अमानत= धरोहर अर्ज= याचना, विनय, विनती, परखना, प्रदर्शन अर्श= छत, छत्र, सर्वोच्च स्वर्ग अरमान= इच्छा, लालसा, आशा अल्फ़ाज़= शब्द (ल्फ़ज़ का बहुवचन) अल= कला अलीम=
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अध्याय १८ के श्लोक ४४ में कहा गया हे के वस्तुओं के खरीदने और बेचने में तोल, नाप,और गिनती आदि में कम देना अथवा अधिक लेना एवं वस्तुओं को बदल कर या एक वस्तु में दूसरी खराब वस्तु मिलाकर देना दाम ठहरा कर अधिक दाम लेना झुंट कपट चोरी और जबरदस्ती से अथवा किसी भी तरह से किसी के हक को मारना गलत हे कुल मिला कर दोष रहित जो सत्यता पूर्वक पवित्र वस्तुओं का व्यापर हे उसका नाम सत्य व्यवहार हे ।